आईये अपनी दूसरी पारी – राष्ट्र को समर्पित करें।
रेस्ट लाईफ फाॅर नेशन का गठन
मिड लाइफ के दौरान अकेलापन और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ बढ़ने लगती हैं। ऐसे में सामाजिक जीवन एक जरूरत बन जाती है। दोस्तों का होना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि ऐसी बहुत सी बातें होती हैं जिन्हें हम अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ साझा करने मे असहज महसूस करते हैं। ऐसे समय में हम दोस्तों से अपने मन की बात आसानी से शेयर कर सकते हैं। सेवा निवृत या बुजुर्गावास्था में प्रवेश करते ही लोगों पर अकेलापन हावी होने लगता है क्योंकि अब परिवार के सभी सदस्य आत्म निर्भर बन चुके होते हैं और सभी अपने अपने कार्यों में व्यस्त हैं। किसी बुज़ुर्ग व्यक्ति के पास बैठने का समय ही नहीं है। आज देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन अगर देखा जाये तो इसकी नींव रखने वाले हमारे ये वरिष्ठ नागरिक ही हैं । वरिष्ठ नागरिकों सहित हमारे समाज के सभी कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा और हिफाजत का माहौल बनाना और उसे कायम रखना हम भारतीयों का सामूहिक दायित्व है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 41 में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता और विकास के अधीन वृद्धजनों के सहयोग की विशेष व्यवस्था करेगा। रिटायरमेंट हर नौकरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । चाहे नौकरी सरकारी हो या प्राईवेट, चाहे कोई व्यापार ही क्यो ना हो, रिटायरमेंट हर जगह मिलता है। हर व्यक्ति यह प्लानिंग करता है कि उसे रिटायर होने के बाद क्या करना है ? मगर एक बड़ा हिस्सा ऐसे परिवार का भी है जो प्लानिंग के बाद भी कुछ नहीं कर पाते और अपने आप को यूजलेस समझ कर अकेलापन महसूस करने लगते हैं । फिर वो सबसे कटे कटे रहने लगते हैं. ऐसा अक्सर पुरुषों के साथ होता है । ज्यादा समय या तो अकेले काटना पसंद करते हैं या बाहर मंदिर में या फिर पार्क में समय बिताते हैं रिटायर हुए व्यक्ति को शुरुआती दिनों में बहुत अच्छा लगता है कि वो अब एक बंधे हुए शैड्यूल से मुक्त हो गया है और जमाने भर की भागदौड़ से उसे आराम मिल गया है, लेकिन कुछ ही समय बाद उनके मन में यह भ्रम पैदा होने लगता है कि नौकरी ही अच्छी थी. घर पर उसकी कोई उपयोगिता नहीं है । ऐसे में आप स्वयं और अपने मित्रों को त्स्छ से जोड़कर खुद को व्यस्त रखते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग दे सकते हैं।
उपरोक्त उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुय समाज के उन व्यक्तियों के लिए जो पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों से मुक्त हैं और अपने समय का उपयोग करना चाहतें हैं। तो आईये अपनी दूसरी पारी को राष्ट्र को समर्पित करने के लिए रेस्ट लाईफ फाॅर नेशन से जुड़कर राष्ट्र निर्माण, समाज कल्याण की दिशा में काम कर सकते हैं न समय का बंधन है और न ही उम्र का बंधन है। आप अपनी स्वेच्छा से सहभागी बन सकते हैं। रेस्ट लाईफ फाॅर नेशन की प्रथम बैठक संस्थापक – पं. पुरूषोत्तम तिवारी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई इसमें उपस्थित वक्ताओं ने इस स्वयं सेवी संस्था के विचार को सामाजिक उत्थान व उत्साहवर्धक बताया बैठक में योगेन्द्र तिवारी, मनोज सरैया, डाॅ. अनुराग खरे एवं राजेश मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त किये।